गहवर वन (Gahvar Van Barsana) ब्रजभूमि का एक ऐसा दिव्य स्थल है जहाँ हर कण में राधा-कृष्ण की लीलाओं की सुगंध महसूस की जा सकती है। यह वन बरसाना की चारों दिशाओं में फैले पवित्र स्थानों में से एक है। मान्यता है कि यहीं राधा रानी अपनी सखियों के साथ ध्यान करती थीं और कभी-कभी श्रीकृष्ण यहाँ उनसे गुप्त रूप से मिलने आते थे।
बरसाना की गलियों से जब आप गहवर वन की ओर बढ़ते हैं, तो वातावरण में एक अनोखी शांति महसूस होती है — ऐसा लगता है मानो समय ठहर गया हो। हर वृक्ष, हर पत्ता और हर हवा का झोंका “राधे राधे” की गूंज लिए बहता है।

Gahvar Van Kahan Hai
Gahvar Van, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना कस्बे में स्थित है। यह स्थान मथुरा जंक्शन से लगभग 50 किलोमीटर और श्रीजी मंदिर बरसाना से मात्र 1 से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है।
बरसाना Parikrama मार्ग पर यह एक प्रमुख स्थल है। श्रद्धालु श्रीजी मंदिर से परिक्रमा शुरू करते हैं और गहवर वन में रुककर भजन-कीर्तन करते हुए आगे बढ़ते हैं। यह मार्ग घुमावदार और सुंदर है — चारों ओर हरियाली, छोटी पहाड़ियाँ और पक्षियों की मधुर आवाज़ें भक्तों को ब्रज की दिव्यता का अनुभव कराती हैं।
यहाँ तक पहुँचने के लिए मथुरा से टैक्सी, बस या निजी वाहन का प्रयोग किया जा सकता है। बरसाना पहुंचने के बाद स्थानीय ऑटो या पैदल Parikrama मार्ग से गहवर वन जाया जाता है।

Gahvar Van Barsana History in Hindi
‘गहवर’ शब्द का अर्थ है — गुफानुमा या गहरा वन। ऐसा कहा जाता है कि यह वन राधा रानी के समय से विद्यमान है, यानी लगभग पाँच हज़ार वर्ष पुराना। धार्मिक ग्रंथों में इसे “राधा रानी का गुप्त निवास” कहा गया है।
यह स्थान ब्रज के बारह वनों में से एक प्रमुख वन माना जाता है। यहाँ की घनी झाड़ियाँ और शांत वातावरण राधा रानी के ध्यान व विश्राम के लिए उपयुक्त माने जाते थे।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी अपनी आठ प्रमुख सखियों — ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चम्पकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुधेवी — के साथ इस वन में आती थीं। यहाँ वे श्रीकृष्ण की याद में भजन गाया करती थीं।
कहा जाता है कि स्वयं श्रीकृष्ण भी कभी-कभी वंशी की मधुर ध्वनि के साथ गहवर वन में प्रकट होते थे और राधा रानी से लीला करते थे। यही कारण है कि इस स्थान को “गोपनीय प्रेम स्थली” कहा जाता है।

Gahvar Van Story in Hindi
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक दिन श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ खेतों से हरी चने की फलियाँ तोड़ते हुए गहवर वन पहुँच गए। वहाँ उन्होंने एक कुंड के पास बैठकर उन्हें भूनकर खाया और आनंद लिया। उसी स्थान को आज “Gahvar Van Kund” या “Krishna Kund” कहा जाता है।
एक अन्य कथा में बताया गया है कि जब राधा रानी अपने ध्यान में लीन होती थीं, तो सखियाँ चारों ओर पहरा देती थीं ताकि कोई विघ्न न आए। कहते हैं कि उस समय का वातावरण इतना दिव्य था कि हर पेड़-पौधा, हर पंछी उनके साथ भजन करता था।
गहवर वन को “शांत साधना भूमि” भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ आज भी साधक ध्यान और जप करने आते हैं। यहाँ की प्रकृति में एक रहस्यमयी ऊर्जा है जो मन को शांति प्रदान करती है।

Gahvar Van Kund
गहवर वन के बीच स्थित ‘Gahvar Van Kund’ को अत्यंत पवित्र माना जाता है। भक्त मानते हैं कि इस कुंड का जल राधा रानी के चरणों से स्पर्शित है। यहाँ स्नान या जल अर्पण करने से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं।
कुंड के चारों ओर पत्थर की सीढ़ियाँ और वृक्षों की छाया है। गर्मी के मौसम में भी यहाँ ठंडी हवा चलती है। भक्त यहाँ बैठकर “राधे-राधे” का जाप करते हैं और अपने मन को शांत करते हैं।

Gahvar Van Barsana Parikrama
बरसाना Parikrama का मार्ग लगभग 4 से 5 किलोमीटर लंबा है, और गहवर वन इसका प्रमुख पड़ाव है। श्रद्धालु इस मार्ग पर नंगे पांव चलते हुए “राधे राधे” का नाम जपते हैं।
गहवर वन में रुककर भक्त ध्यान, भजन और कथा श्रवण करते हैं। यह अनुभव बेहद शांत और आत्मिक होता है। ऐसा माना जाता है कि इस परिक्रमा को करने से व्यक्ति को राधा-कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में प्रेम, शांति और संतुलन आता है।
🌸 Gahvar Van Vrindavan Connection
ब्रजभूमि के हर वन का कोई न कोई संबंध Vrindavan से जुड़ा हुआ है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने वृंदावन में रास लीला की, उसी प्रकार राधा रानी ने बरसाना के गहवर वन में अपनी भक्ति-लीलाएँ कीं।
वृंदावन और बरसाना दोनों ही “प्रेम” के दो रूप हैं — वृंदावन में कृष्ण का प्रेम और बरसाना में राधा का। इसलिए गहवर वन को Vrindavan का हृदय कहा जाता है, जहाँ नारी शक्ति और दिव्य प्रेम का अद्भुत संगम होता है।
🙏 क्यों जाएँ (Why Visit Gahvar Van)
गहवर वन का दौरा केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और भक्ति के अनुभव के लिए किया जाता है।
- यह स्थान राधा रानी की लीलाओं की स्मृति दिलाता है।
- यहाँ का वातावरण ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है।
- प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली और पक्षियों की मधुर ध्वनि मन को आनंदित करती है।
- यहाँ परिक्रमा करते समय “राधे राधे” की ध्वनि पूरे वातावरण में गूंजती है।
- फोटोग्राफी प्रेमियों और अध्यात्म साधकों के लिए यह स्थान स्वर्ग समान है।
🛕 कैसे पहुँचे (How to Reach Gahvar Van)
- नज़दीकी रेलवे स्टेशन – Mathura Junction (लगभग 50 किमी)
- नज़दीकी बस स्टैंड – Barsana Bus Stand (लगभग 1 किमी)
- निकटतम प्रमुख मंदिर – Shriji Temple Barsana
- स्थानीय परिवहन – ऑटो, टैक्सी या पैदल Parikrama मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
🔔 निष्कर्ष (Conclusion)
गहवर वन (Gahvar Van Barsana) केवल एक स्थान नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और शांति का प्रतीक है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति राधा रानी के साक्षात् प्रेम का अनुभव करता है। हर वृक्ष, हर हवा का झोंका, हर पंछी राधा-कृष्ण की लीला की गवाही देता है।
यदि आप कभी बरसाना आएँ, तो गहवर वन जाना न भूलें। यह स्थान आपके मन को स्थिर करेगा, आत्मा को शुद्ध करेगा और आपको राधा रानी की करुणा से भर देगा।
❓ FAQs – Gahvar Van Barsana
Q1. Gahvar Van kahan hai?
गहवर वन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना कस्बे में स्थित है, श्रीजी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर दूर।
Q2. Gahvar Van Barsana se Mathura kitni door hai?
मथुरा जंक्शन से गहवर वन की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है।
Q3. Gahvar Van Kund kya hai?
यह एक पवित्र कुंड है जहाँ राधा-कृष्ण की लीलाएँ हुई थीं। यहाँ का जल अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Q4. Barsana Parikrama mein Gahvar Van kab aata hai?
बरसाना की परिक्रमा में गहवर वन एक मुख्य पड़ाव है, जो श्रीजी मंदिर के बाद आता है।
Q5. Gahvar Van kis ke liye prasiddh hai?
यह स्थान राधा रानी की ध्यान-स्थली और श्रीकृष्ण के साथ उनकी गुप्त लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है।
News source – Gahvar van
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