“शरीरमेतत् भगवान्निवासः” — यह शरीर स्वयं भगवान का धाम है।
इसी भावना को साकार करने के लिए वैष्णव परंपरा में “12 Tilak” या द्वादश ऊर्ध्वपुंड्र (Dvādasha Urdhva Pundra) लगाने की परंपरा चली आ रही है।
यह केवल एक चिन्ह नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक है।
हर तिलक के साथ भगवान विष्णु / श्रीकृष्ण के 12 नामों का स्मरण किया जाता है।

🕉️ वैष्णव तिलक का अर्थ | 12 Tilak Meaning in Vaishnavism
Tilak यानी “चिह्न” — एक ऐसा निशान जो दर्शाता है कि यह शरीर अब भगवान का है।
वैष्णव तिलक दो रेखाओं (ऊर्ध्व पुंड्र) के रूप में माथे पर लगाया जाता है, जो भगवान विष्णु के चरणों का प्रतीक है।
बीच की जगह (श्रीवैष्णवों में लाल, गौड़ीयों में पीली रेखा) माता लक्ष्मी / श्रीमति राधारानी का प्रतीक मानी जाती है।
👉 यानी यह Tilak कहता है —
“I belong to the Supreme Lord.”
📜 शास्त्रीय आधार (Scriptural Reference) Of 12 Tilak
- वासुदेव उपनिषद् (Vasudeva Upanishad) में लिखा है कि भक्त अपने शरीर को भगवान का मंदिर मानकर बारह स्थानों पर ऊर्ध्वपुंड्र लगाए।
- पद्मपुराण और विष्णु धर्मसूत्र में भी इसका उल्लेख है।
- यह कहा गया है —
“Dwadasa tilaka yuktasya mukhenaiva harir vaset.”
अर्थात – “जिसके शरीर पर 12 तिलक लगे हों, वहाँ स्वयं हरि का वास होता है।”
🙏 12 Tilak – नाम और स्थान (Dvādasha Nāma)
हर तिलक के साथ भगवान का एक नाम लिया जाता है। नीचे क्रमवार तालिका दी गई है 👇
क्रम | अंग (Body Part) | भगवान का नाम (Mantra) | अर्थ |
---|---|---|---|
1 | माथा (Forehead) | केशवाय नमः | भगवान केशव को नमस्कार |
2 | पेट (Stomach) | नारायणाय नमः | जो सबके आश्रय हैं |
3 | छाती (Chest) | माधवाय नमः | श्री लक्ष्मीपति |
4 | गला (Throat) | गोविंदाय नमः | गोपालन करने वाले |
5 | दायाँ हाथ | विष्णवे नमः | सर्वव्यापक प्रभु |
6 | बायाँ हाथ | मधुसूदनाय नमः | असुर मधु का वध करने वाले |
7 | दायाँ कंधा | त्रिविक्रमाय नमः | तीन लोकों को नापने वाले |
8 | बायाँ कंधा | वामनाय नमः | वामन रूपधारी |
9 | दायाँ पार्श्व | श्रीधराय नमः | जो श्री लक्ष्मी को धारण करते हैं |
10 | बायाँ पार्श्व | हृषीकेशाय नमः | इंद्रियों के स्वामी |
11 | पीठ (Back) | पद्मनाभाय नमः | जिनके नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न हुए |
12 | गर्दन के पीछे | दामोदराय नमः | यशोदा मैया से बँधे हुए कृष्ण |
💫 हर नाम के उच्चारण से शरीर के उस अंग में दिव्यता और रक्षा की शक्ति मानी जाती है।
🌿 12 तिलक लगाने की विधि (How to Apply the 12 Tilak)
🔱 तिलक लगाने की विधि (Step-by-Step Guide)
- 1️⃣ चंदन या गोपी चंदन तैयार करें –
थोड़ा पानी लेकर उसमें चंदन या गोपीचंदन का लेप बनाएँ। (गोपी चंदन द्वारका क्षेत्र की मिट्टी होती है — अत्यंत पवित्र मानी जाती है।) - 2️⃣ संकल्प लें –
मन में कहें – “मैं यह तिलक श्रीहरि की भक्ति और सेवा के लिए लगा रहा हूँ।” - 3️⃣ तिलक लगाने का तरीका –
दाएँ हाथ की मध्यमा (middle finger) या अनामिका (ring finger) से लगाएँ। रेखाएँ नीचे से ऊपर की ओर खींचें (ऊर्ध्व दिशा में)। बीच की जगह में “श्री” या “राधा” का प्रतीक बिंदु लगाएँ। हर स्थान पर ऊपर बताए गए नाम का जप करें। - 4️⃣ अंत में प्रार्थना करें –
(हे प्रभु! मेरे शरीर में सदा आपका वास हो।)
🌸 तिलक के आध्यात्मिक लाभ (Spiritual Benefits)
- Purity (पवित्रता): तिलक शरीर, मन और कर्म – तीनों को शुद्ध करता है।
- Protection (रक्षा): शास्त्रों में कहा गया है कि तिलक धारण करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
- Bhakti (भक्ति): यह स्मरण कराता है कि “मैं भगवान का सेवक हूँ।”
- Divine Energy: 12 नामों के जप से शरीर के प्रत्येक अंग में सकारात्मक शक्ति प्रवाहित होती है।
- Recognition: यह भक्त की पहचान है — जैसे सैनिक का यूनिफॉर्म, वैसे ही तिलक वैष्णव की पहचान है।
🕉️ तिलक के प्रकार (Styles of Tilak)
वैष्णव संप्रदायों के अनुसार तिलक की आकृति अलग होती है —
संप्रदाय | तिलक का रूप | विशेषता |
---|---|---|
गौड़ीय वैष्णव | सफेद रेखाएँ + पीली बिंदी (गोपीचंदन + हल्दी) | मध्य रेखा राधारानी का प्रतीक |
श्रीवैष्णव | सफेद U आकार + लाल रेखा बीच में | लक्ष्मीजी का प्रतीक |
माधव संप्रदाय | सफेद तिलक जिसमें बीच में काले बिंदु | विष्णुपाद का चिन्ह |
रामानुज संप्रदाय | दो ऊर्ध्व रेखाएँ और बीच में श्री चिन्ह | श्रीलक्ष्मी का आशीर्वाद |
💬 निष्कर्ष (Conclusion)
12 तिलक लगाना केवल एक रिवाज़ नहीं है —
यह भक्त और भगवान के बीच का जीवंत संबंध है।
जब आप हर सुबह तिलक लगाते हैं और श्रीहरि के 12 नामों का स्मरण करते हैं,
तो आपका शरीर, मन और आत्मा — तीनों Mathura-Vrindavan की पवित्रता में रंग जाते हैं।
🌸 “जहाँ तिलक है, वहाँ हरि हैं। जहाँ हरि हैं, वहाँ वैकुण्ठ है।” 🌸